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हेमंत के गढ़ पहुंची कल्पना, बोली- बेटे को आशीर्वाद दिया अब बहू की बारी

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द फॉलोअप डेस्क

कल्पना मुर्मू सोरेन रविवार (10 मार्च) को पहली बार पति हेमंत सोरेन के गढ़, बरहेट पहुंची। हेमंत सोरेन बरहेट से ही विधायक हैं। यहां कल्पना मुर्मू सोरेन ने पति हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी, विपक्ष की कथित साजिश, शिबू सोरेन के महाजनी प्रथा के आंदोलन, संताल हूल और झारखंड में महागठबंधन सरकार द्वारा चलाई जा रही लोक कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बात की। कल्पना मुर्मू सोरेन ने कहा कि झारखंड में 2019 में आपकी सरकार बनी। प्रदेश में जब कोई आदिवासी मुख्यमंत्री बनता है तो पूरे समाज को गर्व होता है कि हमारा बेटा, दादा या चाचा प्रदेश का मुखिया बना है। लोग सोचते हैं कि यह हमारी आवाज बनेगा। हमारे बारे में सोचेगा। कल्पना मुर्मू सोरेन ने कहा कि 2019 में हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। यह आपका प्यार और आशीर्वाद ही है कि उन्होंने कभी बरहेट और यहां की जनता को नहीं छोड़ा। 


ये वीर भूमि उस उबलते हुए आग की है

संताल हूल का जिक्र करते हुए कल्पना मुर्मू सोरेन ने कहा कि वह हमारे ही पूर्वज थे जिन्होंने सबसे पहले आजादी का सपना देखा। जब अंग्रेजी सत्ता के जुल्मों तले लोग तकलीफ की आग में जल रहे थे तब इसी धरती के एक लाल ने आजादी का सपना देखा था। उन्होंने, अंग्रेजों के खिलाफ हूल का ऐलान कर दिया। यह धरती (बरहेट) उन्हीं वीरों की है जिन्होंने स्वाभिमान और स्वाधीनता के लिए तकलीफ उठाई। गोली और कोड़े की परवाह नहीं की। हूल के जरिये झारखंड में चिंगारी भड़क चुुकी थी। तब न तो यातायात का साधन था और ना ही संवाद का तरीका लेकिन तब भी आदिवासी-मूलवासियों ने आजादी की ऐसी हुंकार भरी कि आवाज दूर तक पहुंची। उन्होंने तय किया कि चाहे जितनी तकलीफ हो। गुलामी की जिंदगी नहीं जिएंगे। 


शिबू सोरेन के संघर्ष ने उन्हें दिशोम गुरू बनाया

कल्पना मुर्मू सोरेन ने बरहेट की सभा में मौजूद लोगों से सवालिया लहजे में कहा कि आखिर, बाबा (शिबू सोरेन) को नेमरा गांव से निकलने की जरूरत क्यों पड़ी? क्यों उनको संघर्ष करना पड़ा? आखिर, क्यों बाबा ने गांव छोड़ा? उनके पिता की हत्या कर दी गई। महाजनों ने उनको मरवाया। उनके शरीर के इतने टुकड़े किए गये कि उन्हें चुनने में घंटों लग गये। बोरे में भरकर शव के टुकड़ों को लाना पड़ा। महाजनी प्रथा चरम पर थी। यह कहते हुए कल्पना मुर्मू सोरेन भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि दिशोम गुरू ने अपने सिपाहियों के साथ मिलकर संघर्ष किया और झारखंड को नई पहचान दी। जिन आदिवासी-मूलवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग को कोई नहीं पूछता तो उनको हक और अधिकार दिया। आज जब हम गर्व से खुद को झारखंडी कहते हैं तो यह आत्मसम्मान गुरुजी ने दिलाया। हम जी-जान से लड़ेंगे। झारखंडी ना तो कभी झुका था और न ही झुकेगा। हम सीने पर गोली खाने वाले लोग हैं। शरीर पर कोड़े के निशान बन जाएं लेकिन हम आत्मसम्मान नहीं छोड़ेंगे। 
हेमंत सोरेन ने राज्य के लिए बहुत काम किया

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद 20 साल तक विपक्षियों ने शासन किया। 2019 में आपके दादा, आपका बेटा हेमंत सोरेन पूरे जनादेश के साथ चुना गया। हमारी सरकार बनी। आदिवासी-मूलवासी की सरकार बनी। आबुआ दिशोम-आबुआ राज का संकल्प लिया। सर्वजन पेंशन योजना, किशोरी समृद्धि योजना, गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना और दीदी बाड़ी योजना के जरिए युवा, गरीब, महिला और दलित-अल्पसंख्यक का अधिकार सुरक्षित किया। आज मैंने अखबार देखा। अखबार में महिलाओं से जुड़े एक कार्यक्रम की जानकारी थी। आखिर, हमें महिला दिवस पर ही महिलाओं को याद करना होता है। क्यों प्रतिदिन महिलाओं को इज्जत और सम्मान नहीं मिलता। उनको भी बराबरी का दर्जा मिलेगा तो वे भी समाज में अन्य लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकेंगी। जब, महिला समाज की जननी है तो इसे संचालित भी कर सकती है। 

कल्पना मुर्मू सोरेन ने कहा कि 4 साल के कार्यकाल में आपके हेमंत दादा ने बहुत सारी योजना बनाई। स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, आर्थिक मदद करने वाली कई योजनाएं लॉन्च की गई। आज यदि एक महिला शिक्षित होगी तो पूरा घर, परिवार और समाज शिक्षित होगा। शिक्षित होंगे तो हक-अधिकार के लिए लड़ सकेंगे। किसी के आगे झुकना नहीं पड़ेगा। बुजुर्गों से कहूंगी कि आप चिंता मत कीजिए। आपका बेटा हेमंत, आपके साथ खड़ा है। वह, आपके बुढ़ापे की लाठी है। स्वाभिमान के साथ जीवन बिताइये। झारखंड कभी नहीं झुकेगा। आपका आशीर्वाद बना रहे। इतनी जोर से जय झारखंड का नारा लगाइये कि आपकी आवाज, होटवार जेल की चारदीवारी को चीरते हुए हेमंत दादा तक पहुंचे। उनको अहसास हो कि पूरा बरहेट परिवार उनके साथ खड़ा है। उनको लोग बुला रहे हैं। उन्हें जल्दी बाहर आना है।